Ratan Tata Success Story :- मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में देश के प्रमुख कारोबारी रतन टाटा का निधन हो गया। रतन टाटा 86 साल के थे। बताया जा रहा है कि अस्पताल में एडमिट होने के बाद अभियान जारी कर दिया गया था कि उनकी सेहत बिल्कुल ठीक है. किसी तरह की चिंता की कोई बात नहीं है ।
और आप लोग जानते भी हो रतन टाटा किसी परिचय के मोहताज नहीं है, रतन टाटा देश के जानी मानी हस्ती रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (Padma Bhushan 2000) पद्म विभूषण (padma Vibhushan 2008) से भी सम्मानित किया जा चुका है । तो दोस्ती आइए जानते हैं , रतन नवल टाटा देश के सबसे बड़े उद्योगपति बनने का सफर।
Ratan Tata Life & Education
28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सोनू टाटा के घर रतन टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा की परपोते थे । रतन टाटा के माता-पिता 10 साल के ही उम्र में अलग हो गए थे । उनकी परवरिश उनकी दादी ने की थी। मुंबई के कैंपियन स्कूल से रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कंप्लीट की थी ।
8 वी तक पढ़ाई यहां पर इन्होंने की थी। इसके बाद रतन टाटा ने आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और शिमला में बिशप कॉटन स्कूल चले गए थे। इसके बाद रतन टाटा ने रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की थी । रतन टाटा कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के छात्र भी रह चुके थे। उन्होंने टाटा ग्रुप का चेयरमैन 21 साल के उम्र में ही 1991 में बना दिया गया था ।
कैसे बनी थी देश की सबसे सस्ती कार ?
एक बार की बात है , रतन टाटा सर ने मुंबई में एक बार तेज बारिश में एक परिवार को चार लोगों को बाइक पर सवार हुए बिकते हुए देखा, इस बात को लेकर रतन टाटा ने बहुत परेशान हुए फिर अगले ही दिन उन्होंने इंजीनियर को बुलाकर देश की सबसे सस्ती कर बनाने को कहां। तो फिर क्या यही से टाटा नैनो (Tata Nano) की शुरुआत हुई । आपको जानकारी के लिए बता दूं कि टाटा नैनो 2008 में लांच हुई थी। हालांकि लोगों को यह कार ज्यादा पसंद नहीं आई, इसके डिजाइन से और साल 2020 में इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था ।
रतन टाटा बुक के बहुत शौकीन थे ।
दोस्तों मैं आपको जानकारी के लिए बता दूं कि रतन टाटा कर बुक की बहुत शौकीन थे। बुक से बहुत प्यार करते थे। कहां जाता है कि उनको सक्सेस स्टोरी पढ़ने बहुत पसंद था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि रिटायर होने के बाद अपने इस बुक पढ़ने के शौकीन को टाइम देंगे। पूछने पर उन्होंने कर के बारे में बताया कि मुझे कार्य बहुत पसंद है। मैं कार से मुझे बहुत लगाव है। मुझे पुरानी और नई दोनों तरह की करे पसंद है , और उन्हें बचपन से ही बहुत कम बातचीत पसंद था।
टाटा संस के और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को 1991 में संभाले थे ।
रतन टाटा ने 1991 में टाटा संस और टाटा ग्रुप का अध्यक्ष पद संभाला। 21 वर्षों तक उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया और इसे बुलंदियों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया गया। टाटा नैनो कार भी रतन टाटा की ही अवधारणा थी। उनकी देखरेख में टाटा ग्रुप 100 से अधिक देशों में फैल गया।
उनके ही देखरेख में टाटा ग्रुप कंपनी 100 से अधिक देशों में फैल गया था। रतन टाटा ने 1991 में टाटा संस और टाटा ग्रुप का अध्यक्ष पद संभाला था। 21 वर्षों तक उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया और बुलंदियों तक पहुंचा था। यह सच है कि उन्हें नेतृत्व में जगुआर , लैंड रोवर और कोर्स का अधिग्रहण किया गया था । और उनकी टाटा नैनो कर को भी रतन टाटा की ही अवधारणा थी।
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Ratan Tata Success Story
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