Gorakhapur / Ayodhya– अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव में हैं। मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप की वापसी भारतीय मूल के काश पटेल के लिए खुशखबरी हो सकती है।
यह बताया जा रहा है कि ट्रंप काश पटेल को CIA का चीफ बना सकते हैं। काश पटेल इस पद के लिए सबसे बड़े दावेदार हैं। यह भी पता चला है कि ट्रंप ने पहले ही काश पटेल को इस पद के लिए चुनने का फैसला कर लिया है। अगर वह चुनाव जीतते हैं, तो उन्होंने काश पटेल को CIA का चीफ बनाने का फैसला किया है।
काश पटेल का राजनीतिक करियर और Ayodhya राम मंदिर से जुड़ा उनका समर्थन
काश पटेल एक गुजराती परिवार से हैं। उनके माता-पिता 1970 में युगांडा से भागकर अमेरिका आए थे। 1988 में उनके पिता को अमेरिकी नागरिकता मिली। तब से उनका परिवार अमेरिका में ही बस गया। काश पटेल ने वकालत की पढ़ाई की। उन्होंने एक लॉ फर्म में काम किया। लेकिन बड़े फर्म में नौकरी नहीं मिली, इसलिए उन्होंने सरकारी वकील के तौर पर काम करना शुरू किया। 2013 में काश पटेल ने अमेरिकी न्याय विभाग में काम करना शुरू किया। 2016 में उन्हें खुफिया मामलों की एक समिति में नियुक्त किया गया। डेविड नून्स इस विभाग के प्रमुख थे, जो ट्रंप के करीबी थे। काश पटेल ने 2016 के चुनाव में रूस के हस्तक्षेप पर काम किया। यह काम उन्हें ट्रंप के करीब लाया।
Ayodhya राम मंदिर पर काश पटेल का बयान और विदेशी मीडिया की आलोचना
काश पटेल ने Ayodhya राम मंदिर के समर्थन में एक बयान दिया। उन्होंने विदेशी मीडिया के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया दी। विदेशी मीडिया ने राम मंदिर विवाद को 50 साल पुराना बताया। लेकिन काश पटेल ने इसे नकारा। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है। 500 साल पहले हिंदू मंदिर को गिरा दिया गया था। तब से उसकी पुनर्निर्माण की कोशिश हो रही है।
काश पटेल ने कहा कि विदेशी मीडिया भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया भारतीय संस्कृति और इतिहास को सही तरीके से नहीं दिखा रहा है।
काश पटेल का भविष्य: CIA के चीफ बनने की संभावना और Ayodhya में उनका प्रभाव
यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो काश पटेल CIA के प्रमुख हो सकते हैं। उन्हें प्रशासनिक अनुभव है और उन्होंने कई सरकारी पदों पर काम किया है। उनका ज्ञान राजनीति और सुरक्षा में गहरा है। उनकी दोस्ती ट्रंप के साथ भी उन्हें इस पद के लिए मजबूत बनाती है। काश पटेल ने दिखाया है कि वह वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ा सकते हैं। इसमें भारत और Ayodhya के राम मंदिर जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।
काश पटेल और ट्रंप का आपसी संबंध और Ayodhya के विवाद पर उनकी सोच
काश पटेल और डोनाल्ड ट्रंप के बीच एक मजबूत संबंध है। ट्रंप के प्रशासन में उन्हें कई महत्वपूर्ण अवसर मिले। काश पटेल ने ट्रंप के खिलाफ उठाए गए कानूनी कदमों में सलाह दी। इसके बाद से उनका कद बढ़ गया।
काश पटेल के योगदान और आलोचनाएं
काश पटेल को ट्रंप का करीबी सहयोगी माना जाता है। लेकिन उनकी आलोचनाएं भी होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि उनका रवैया बहुत अधिक पक्षपाती है। लेकिन उनके समर्थक मानते हैं कि उनकी सोच अमेरिका और भारतीय समुदाय के लिए फायदेमंद है।
Ayodhya में काश पटेल का प्रभाव और भारतीय राजनीति
काश पटेल का राजनीतिक करियर अमेरिका से परे है। उनका भारतीय मूल और Ayodhya राम मंदिर पर बयान भारतीय राजनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उनके विचार और कार्य भारतीय समुदाय में चर्चा का विषय हैं। यदि ट्रंप फिर से सत्ता में आते हैं, तो काश पटेल का प्रभाव भारत में भी बढ़ेगा। उनकी भूमिका अमेरिका से परे होगी।
काश पटेल का करियर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उनकी मेहनत, ट्रंप के साथ संबंध, और Ayodhya राम मंदिर पर उनका पक्ष उन्हें एक प्रमुख नेता बनाते हैं।
यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो काश पटेल CIA प्रमुख बनने की संभावना बढ़ सकती है। यह उनके लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। यह न केवल अमेरिका में बल्कि भारतीय समुदाय में भी उनकी पहचान को मजबूत करेगी।
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