जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा धोखाधड़ी मामला सामने आया है। इसमें एक महिला, किरण पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का अधिकारी बताया। उन्होंने सरकारी संसाधनों का उपयोग करके कई लोगों को ठगा।
ईडी की जांच में पता चला कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर सरकार से कई बड़े फायदे प्राप्त किए। उन्हें हाई सिक्योरिटी की सुविधाएं, बुलेटप्रूफ कार, और 5-स्टार होटल में रहने का अधिकार मिला। ईडी की चार्जशीट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
किरण पटेल ने खुद को PMO अधिकारी के रूप में पेश किया
2023 में एक बड़ा मामला सामने आया। किरण पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक शीर्ष अधिकारी बताया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में उच्च सुरक्षा सेवाओं का फायदा उठाया। उन्होंने दिखाया कि वे पीएमओ से जुड़े हैं। उन्हें सरकारी कार्यों के लिए वहां भेजा गया। इस नकली पहचान से उन्हें सरकारी सुरक्षा और बुलेटप्रूफ कार मिली। उन्होंने श्रीनगर के एक 5-स्टार होटल में भी ठहराया। यह मामला पूरे प्रशासन और पुलिस विभाग को हैरत में डाला। सवाल यह उठता है कि बिना जांच के इतनी बड़ी सुरक्षा कैसे दी गई?
PMO-ईडी की जांच में क्या पता चला?
जैसे ही मामला सामने आया, ईडी ने तुरंत जांच शुरू की। जांच में पता चला कि किरण पटेल ने जम्मू-कश्मीर के अलावा गुजरात में भी लोगों से संपर्क किया। उसने खुद को एक बड़े अधिकारी के रूप में दिखाया और गुजरात के व्यापारियों को कश्मीर में व्यवसाय करने का ऑफर दिया। उसने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह सरकारी परियोजनाओं से जुड़ी हुई है। उसने कहा कि वह उनके व्यवसाय को बढ़ावा दे सकती है। इस तरह, उसने कई लोगों से बड़ी रकम वसूली।
चार्जशीट में किए गए खुलासे
ईडी ने जांच के बाद किरण पटेल के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए। उन्होंने एक चार्जशीट दाखिल की। इसमें बताया गया कि किरण ने पीएमओ के अधिकारी का नाम लेकर लोगों को ठगा। उसने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग किया। उसने दावा किया कि वह प्रधानमंत्री कार्यालय में एक महत्वपूर्ण पद पर है। ईडी ने उसकी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और दस्तावेज जब्त किए। इनसे पता चला कि उसने कई फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को धोखा दिया।
PMO-हाई-प्रोफाइल सुरक्षा सुविधाओं का दुरुपयोग
किरण पटेल ने जम्मू-कश्मीर में बुलेटप्रूफ कार और सरकारी सुरक्षाकर्मी प्राप्त किए। ये सुविधाएं आमतौर पर पीएमओ के अधिकारियों को ही मिलती हैं। इसने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया। क्योंकि इतने बड़े स्तर पर सुरक्षा सेवाएं एक फर्जी दस्तावेज पर दी गईं थीं। उसने 5-स्टार होटल में रहने के बावजूद खुद को एक बड़े अधिकारी की तरह पेश किया। इससे लोग उस पर और भी अधिक भरोसा करने लगे।
ठगी का जाल और उसके तरीके
किरण पटेल ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से ठगी को अंजाम दिया। उसने जम्मू-कश्मीर में दावा किया कि वह केंद्र सरकार की ओर से उच्च पद पर तैनात है। इस वजह से वहां के अधिकारियों ने उसे गंभीरता से लिया। लेकिन उसकी फर्जी पहचान की गहराई से जांच नहीं की। पटेल ने लोगों को कश्मीर में निवेश के लिए उकसाया। उनसे मोटी रकम ऐंठने के लिए उसने कई व्यापारिक परियोजनाएं प्रस्तुत कीं। उसने कहा कि उसके पास केंद्र सरकार की विशेष स्वीकृति है।
PMO-कोर्ट में सुनवाई और जमानत
मार्च 2023 में किरण पटेल को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने बाद में उसे 29 अगस्त 2023 को जमानत दी। लेकिन, उसके वकील को दो जमानतदार और एक लाख रुपये देने पड़े। कोर्ट की इस कार्रवाई के बाद, उसकी रिहाई हुई। लेकिन, ईडी की जांच अभी भी जारी है। ईडी ने उसकी गतिविधियों का विश्लेषण किया। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि उसने कितने लोगों को ठगा और कितना नुकसान पहुँचाया।
जांच की विस्तृत प्रक्रिया
ईडी ने किरण पटेल के जम्मू-कश्मीर में किए गए कामों की जांच की। उन्होंने गुजरात में उसके संपर्कों की भी जांच की। उन्होंने उसके संपर्क में आने वाले लोगों से पूछताछ की। यह पता चला कि पटेल ने लोगों को ठगा। उन्होंने उसकी संपत्तियों का आकलन किया। और उसके बैंक खातों की भी छानबीन की।
उसकी पत्नी भी शामिल
ईडी ने खुलासा किया कि किरण पटेल की पत्नी मालिनी भी शामिल थीं। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर धोखाधड़ी की। मालिनी पर आरोप है कि उसने फर्जीवाड़ा किया। उसने अपने पति की फर्जी पहचान को बनाए रखने में मदद की।
प्रशासन के लिए सवाल
इस मामले ने प्रशासन के सामने कई सवाल पैदा किए। कैसे एक ठग ने इतनी बड़ी सुविधाएं प्राप्त कीं? यह दिखाता है कि प्रशासन में लापरवाही हुई है। अब सुरक्षा एजेंसियों ने अपने नियम कड़े कर दिए हैं।
किरण पटेल की कहानी हमें सिखाती है कि फर्जी पहचान कैसे दुरुपयोग का काम करती है। उसने चालाकी से सरकारी धन और व्यापारियों को धोखा दिया। अब ईडी ने उसकी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया है। उस पर कानूनी कार्रवाई जारी है। यह सीख देता है कि सुरक्षा एजेंसियों को घटनाओं से सबक लेना चाहिए।जांच की प्रक्रिया को सख्त बनाने की जरूरत है।
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