लोकेश कनागराज: हिंदी में पूरी जीवनी
लोकेश कनागराज एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं, जो मुख्य रूप से तमिल सिनेमा (कोलिवुड) में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 14 मार्च 1986 को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के किनाथुकडवु में हुआ था। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जहां उनके पिता एक बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे। लोकेश की फिल्मों में एक्शन, रोमांच और जटिल कहानी कहने की कला ने उन्हें तमिल सिनेमा के सबसे लोकप्रिय निर्देशकों में से एक बना दिया है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स (एलसीयू) की स्थापना है, जो तमिल एक्शन थ्रिलर फिल्मों का एक साझा संसार है।

जीवन और शिक्षा
लोकेश ने अपनी स्कूली शिक्षा पलनायम्माल मैट्रिक हायर सेकेंडरी स्कूल, कल्लियापुरम, पोल्लाची से पूरी की। इसके बाद उन्होंने कोयंबटूर के पीएसजी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस से फैशन टेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री हासिल की। स्नातक के बाद, उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स (एमबीए) पूरा किया। फिल्म निर्माण में उनकी रुचि कॉलेज के दिनों से ही शुरू हो गई थी, लेकिन औपचारिक रूप से उन्होंने इस क्षेत्र में कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। उनकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत कमल हासन की फिल्में थीं, जिनसे उन्होंने फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखीं।
शिक्षा पूरी करने के बाद, लोकेश ने चेन्नई में एक निजी बैंक में लगभग पांच साल तक नौकरी की। हालांकि, फिल्मों के प्रति उनका जुनून उन्हें इस कॉर्पोरेट नौकरी से बाहर निकाल लाया। एक कॉर्पोरेट शॉर्ट फिल्म प्रतियोगिता में भाग लेने के दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक कार्तिक सुब्बाराज से हुई, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें फिल्म निर्माण में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
करियर की शुरुआत
लोकेश कनागराज ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 2016 में एक लघु फिल्म “कलम” से की, जो एंथोलॉजी फिल्म “अवियल” का हिस्सा थी। इस फिल्म का निर्माण कार्तिक सुब्बाराज ने किया था। इससे पहले, 2012 में उनकी पहली शॉर्ट फिल्म “अचम थवीर” ने क्लबेस शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार जीते थे। 2014 में उनकी एक और शॉर्ट फिल्म “कस्टमर डिलाइट” ने ऑल इंडिया कॉर्पोरेट फिल्म प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार जीता।
उनकी पहली फीचर फिल्म “मानागरम” (2017) थी, जो एक हाइपरलिंक थ्रिलर थी और критики (आलोचकों) और दर्शकों दोनों से सराहना प्राप्त हुई। इस फिल्म ने उन्हें तमिल सिनेमा में एक उभरते हुए निर्देशक के रूप में स्थापित किया। इसके बाद 2019 में “कैथी” आई, जिसमें कार्ति मुख्य भूमिका में थे। यह फिल्म एक रात की कहानी पर आधारित थी और इसमें नायिका या गानों की कमी के बावजूद अपनी तेज पटकथा के लिए मशहूर हुई। “कैथी” ने एलसीयू की नींव रखी।
बड़ी सफलताएं और एलसीयू
2021 में, लोकेश कनागराज ने थलपति विजय और विजय सेतुपति के साथ “मास्टर” का निर्देशन किया, जो उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तमिल फिल्म बनी। 2022 में “विक्रम” (कमल हासन अभिनीत) ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया और एलसीयू का दूसरा हिस्सा बनकर उभरी। 2023 में “लियो” (विजय के साथ दूसरी बार सहयोग) ने वैश्विक स्तर पर 600 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की और एलसीयू की तीसरी कड़ी के रूप में स्थापित हुई। उनकी फिल्मों में एक्शन और नॉयर शैली का प्रभाव साफ दिखता है, और वह मार्टिन स्कॉर्सेसी और क्वेंटिन टैरेंटिनो जैसे निर्देशकों से प्रेरित हैं।
लोकेश वर्तमान में रजनीकांत के साथ “कूली” (2025 में रिलीज होने वाली) पर काम कर रहे हैं और “कैथी 2” की तैयारी में भी हैं। जून 2023 में उन्होंने घोषणा की कि वह 10 फिल्मों के बाद निर्देशन से संन्यास ले लेंगे। नवंबर 2023 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी “जी स्क्वाड” शुरू की, जिसके तहत उनकी पहली फिल्म “फाइट क्लब” थी।
व्यक्तिगत जीवन
लोकेश कनागराज का विवाह 8 जनवरी 2012 को ऐश्वर्या लोकेश से हुआ था। दंपति के दो बच्चे हैं—अध्विका लोकेश और अरुध्रा लोकेश। वह अपने निजी जीवन को निजी रखना पसंद करते हैं और सोशल मीडिया पर भी ज्यादा सक्रिय नहीं रहते। लोकेश कनागराज उनके तीन भाई हैं—अरविंद ज्ञानसंबंधम, अश्विन वेंकटेश, और प्रशांत ज्ञानसंबंधम।
पुरस्कार और सम्मान
लोकेश कनागराज को “मानागरम” के लिए विजय अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ डेब्यू निर्देशक और “कैथी” के लिए जी तमिल सिने अवॉर्ड्स में पसंदीदा निर्देशक का पुरस्कार मिला। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता के साथ-साथ आलोचनात्मक प्रशंसा भी प्राप्त करती हैं।
लोकेश कनागराज आज तमिल सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली और नवोन्मेषी निर्देशकों में से एक हैं। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि एक सिनेमाई अनुभव भी प्रदान करती हैं। 39 साल की उम्र में ही उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह उनकी मेहनत और जुनून का प्रमाण है।