Madhya Pradesh के छिंदवाड़ा जिले के खकराचौरई गांव में एक दिलचस्प घटना हुई। शुक्रवार की सुबह, दो बुजुर्ग महिलाएं, 65 वर्षीय भुजलो बाई और 55 वर्षीय दुर्गाबाई, खेत में सो रही थीं। वे रात को मक्का की तुड़ाई का काम कर चुकी थीं।
Madhya Pradesh सुबह 5 बजे एक भेड़िए ने उन पर हमला कर दिया। इसके बाद, जो हुआ, वह बहुत साहसी था।
भेड़िए का अचानक हमला
सुबह की हल्की रोशनी में, जब महिलाएं सो रही थीं, भेड़िए ने भुजलो बाई पर हमला किया। भुजलो बाई के हाथ की उंगलियों पर हमला हुआ, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। उनकी चीख सुनकर दुर्गाबाई ने बहादुरी दिखाई। उन्होंने भुजलो बाई की मदद करने का फैसला किया और भेड़िए से भिड़ने के लिए तैयार हो गईं।
संघर्ष की अद्भुत दास्तान
दुर्गाबाई ने तुरंत भेड़िए का मुंह पकड़ने की कोशिश की। यह संघर्ष करीब आधा घंटे तक चला। दोनों महिलाएं अपनी पूरी ताकत से भेड़िए को दबोचने की कोशिश कर रही थीं। भुजलो बाई ने भी अपनी हिम्मत जुटाते हुए भेड़िए पर पास पड़े फावड़े से वार करना शुरू किया। दोनों महिलाओं के साहस ने अंततः भेड़िए को जमीन पर गिरा दिया।
फावड़े से मारकर भेड़िए का अंत
भुजलो बाई ने अपने फावड़े से भेड़िए पर हमला किया। इस संघर्ष में दोनों महिलाएं बुरी तरह घायल हो गईं। लेकिन उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना निडरता से भेड़िए का सामना किया। उनकी चीख-पुकार सुनकर गांववाले मौके पर पहुंचे। जिन्होंने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया। गांववालों के अनुसार, यह घटना दिल दहला देने वाली थी। लेकिन उन दादियों के साहस को सभी ने सलाम किया।
ग्रामीणों में भय का माहौल
खकराचौरई गांव में दहशत बढ़ गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगली जानवरों का हमला पहले भी हुआ है। लोगों ने वन विभाग को कई बार सूचित किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन बहुत देर से。
महिलाओं की बहादुरी की प्रशंसा
Madhya Pradesh की दो बहादुर दादियों ने पूरे इलाके को प्रेरित किया। वे अपने साहस और आत्मविश्वास के लिए जानी जाती थीं। उनके परिवार और गांव के लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। लोग उनके पास आते हैं और उन्हें हौसला देते हैं।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
घटना के बाद वन विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया। उन्होंने भेड़िए के हमले की स्थिति का जायजा लिया। वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वे अन्य जंगली जानवरों के हमलों को रोकने के लिए कदम उठाएंगे। लेकिन गांव के लोग वन विभाग की टीम की लेट-लतीफी से नाराज हैं। उन्होंने जल्दी और प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक
छिंदवाड़ा जैसे ग्रामीण इलाकों में जंगली जानवरों के हमले बढ़ रहे हैं। लोगों में भय का माहौल है। विशेषकर महिलाएं और बच्चे अधिक असुरक्षित महसूस करते हैं। इस घटना ने प्रशासन को जंगली जानवरों के हमलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने पर मजबूर किया।
बुजुर्ग महिलाओं के साहस की मिसाल
इस घटना ने पूरे गांव और आसपास के गांवों में बुजुर्ग महिलाओं के साहस को प्रसिद्ध कर दिया है। लोग इसे एक उदाहरण के रूप में देख रहे हैं। यह दिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी साहस के साथ खड़े रहना संभव है। भुजलो बाई और दुर्गाबाई ने दिखाया है कि उम्र के बावजूद भी साहस और आत्मविश्वास से कोई भी चुनौती संभाली जा सकती है।
सुरक्षा के प्रति ग्रामीणों की मांग
गांव के लोग प्रशासन और वन विभाग से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि वन विभाग सुरक्षा उपायों को मजबूत करे। उनका कहना है कि जंगली जानवरों के हमलों को रोकने के लिए अधिक गश्त और निगरानी की जरूरत है। जब तक जंगली जानवरों के हमलों पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक ग्रामीण डर के साए में जीने को मजबूर रहेंगे।
गांव में महिलाओं के साहस की कहानियों का उदाहरण
Madhya Pradesh छिंदवाड़ा की इन बहादुर महिलाओं की कहानी अब गांव में चर्चा का विषय बन गई है। लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देख रहे हैं। उनके साहस की तारीफ कर रहे हैं। उनकी इस बहादुरी ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को भी प्रेरित किया है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि इस घटना से उन्होंने सीखा है। उन्होंने सीखा है कि विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और साहस ही सबसे बड़ी ताकत है।
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