Pink Ball Test 2,पिंक बॉल: भारतीय बल्लेबाजों के लिए एक चुनौती

Pink Ball Test, पिंक बॉल से कब खेलना सीखेंगे भारतीय बल्लेबाज? लाल गेंद और सफेद गेंद से पिंक बॉल कितनी अलग होती है? पिंक बॉल टीम इंडिया के बल्लेबाजों को विदेशों में खेलने में क्यों दिक्कत देती है? आइए जानते हैं पिंक बॉल के बारे में, इसकी खासियतें, और क्यों यह भारतीय बल्लेबाजों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

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आपके सामने जो गेंद है, वह सफेद गेंद है, जिसे वनडे और T-20 मैचों में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में जब डे-नाइट मुकाबले होते हैं, तो उसमें पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है। और जब भारतीय टीम विदेशों में पिंक बॉल से कोई टेस्ट मैच खेलती है, तो कागज के शेर भी ढेर हो जाते हैं। आज हम जानेंगे कि पिंक बॉल, सफेद और लाल गेंद से इतनी अलग क्यों होती है और भारतीय बल्लेबाजों को इससे क्यों दिक्कत होती है।

पिंक बॉल का खासियत (Pink Ball Test)

मुझे इस वक्त पिंक बॉल तो नहीं है, लेकिन सफेद गेंद के जरिए समझाने की कोशिश करता हूं कि इन गेंदों में क्या फर्क है। सफेद गेंद की शाइन या चमक पिंक बॉल के मुकाबले काफी कम होती है। पिंक बॉल में लाइक्रा (Lycra) का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, ताकि इसकी चमक बढ़ सके और गेंद को अंडर लाइट्स साफ तौर पर देखा जा सके।

पिंक बॉल की शाइन बहुत अधिक होती है और ये लंबे समय तक कायम रहती है। इसके ऊपर कई परतों में लैकर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह चिकनी और चमकदार दिखती है। यह लाल और सफेद गेंदों के मुकाबले ज्यादा वक्त तक नई रहती है, और जैसे-जैसे समय बीतता है, इसमें चमक और शाइन कम नहीं होती। यही कारण है कि पिंक बॉल को लंबे समय तक खेला जा सकता है, और यह जल्दी पुरानी नहीं होती।

पिंक बॉल से बल्लेबाजी में दिक्कत

जब आप पिंक बॉल से बल्लेबाजी करते हैं, तो इसे पढ़ना बहुत मुश्किल हो जाता है। खासकर जब दिन ढलने के बाद रोशनी कम होती है और फ्लड लाइट्स का इस्तेमाल होता है, तब पिंक बॉल को जज करना और उसके मूवमेंट को समझना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बल्लेबाज यह नहीं समझ पाते कि गेंद कहां जाएगी, या फिर टप्पा पड़ने के बाद वह किस दिशा में जाएगी। सफेद और लाल गेंदों को हाथ से जज करना आसान होता है, लेकिन पिंक बॉल में इतनी शाइन और मूवमेंट होती है कि उसे जज करना मुश्किल हो जाता है।

पिंक बॉल का स्विंग और मूवमेंट

पिंक बॉल में स्विंग और सीम का मूवमेंट बहुत ज्यादा होता है। यह गेंद कई बार तैरती हुई दिखती है और बल्लेबाज के लिए इसे खेलना बहुत कठिन हो जाता है। गेंदबाज जब पिंक बॉल से गेंदबाजी करते हैं, तो बल्लेबाज यह अंदाजा नहीं लगा पाते कि गेंद किस दिशा में जाएगी, जिससे खेल में अनिश्चितता बढ़ जाती है।

क्यों भारतीय बल्लेबाजों को पिंक बॉल से दिक्कत होती है?

अगर हम हाल ही में खेले गए कुछ पिंक बॉल टेस्ट मैचों की बात करें, तो भारतीय बल्लेबाजों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया में पिंक बॉल टेस्ट मैच में भारतीय टीम 36 रन पर ऑल आउट हो गई थी। वहीं, हाल ही में भारत ने पिंक बॉल से खेले गए टेस्ट मैच में 180 रन पर ऑल आउट हो गया। हालांकि, भारत ने चार में से तीन पिंक बॉल टेस्ट मैच घरेलू धरती पर जीते हैं, लेकिन जब विदेशी कंडीशंस में पिंक बॉल से खेलते हैं, तो बल्लेबाजों को कठिनाई होती है।

विदेशों में पिंक बॉल का व्यवहार भारत के मुकाबले अलग होता है। वहां की कंडीशंस में गेंद ज्यादा स्विंग करती है और उसे समझना भारतीय बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

पिंक बॉल में सफेद और लाल गेंदों से काफी अंतर होता है, और इसका असर बल्लेबाजी पर साफ नजर आता है। भारतीय बल्लेबाजों को पिंक बॉल के स्विंग, सीम और शाइन को पढ़ने में दिक्कत होती है, खासकर जब मैच डे-नाइट होते हैं और रोशनी कम होती है। हालांकि, पिंक बॉल से खेलने का अभ्यास भारतीय क्रिकेट के लिए जरूरी है, ताकि वे विदेशी कंडीशंस में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

आपका पिंक बॉल पर क्या कहना है? क्या आपने कभी पिंक बॉल से खेला है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।

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