Gorakhpur में सिर्फ एक अक्षर गलत होने जाने के कारण हुआ 2.5 करोड़ का नुकसान, पूरा मामला जानकर हो जायेंगे हैरान
गोरखपुर में एक रियल स्टेट की कंपनी है, जिसको सिर्फ एक अक्षर की गलती की वजह से लगभग ढाई करोड रुपए का अधिक स्टांप शुल्क पड़ रहा है।
कंपनी ने पावर ऑफ आर्टन (मुख्तारनामा ) के प्रकार में खंडनीय की जगह अखड़ाया शब्द का प्रयोग किया जाने के कारण जिससे स्टांप शुल्क बढ़ गया। इसके कारण कंपनी और स्टांप विभाग के बीच चल रहा है विवाद ।
इन दिनों गोरखपुर के निबंधन कार्यालय में ऐसा ही मामला चर्च में है। रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनी को एक कक्षा के गलत हो जाने के कारण लगभग ढाई करोड रुपए ( 2 करोड़ 42 लाख) अधिक स्टांप शुल्क देने पर मजबूर होना पड़ रहा है ।
आमतौर पर खंडनीय मुख्तारनामा का प्रयोग किया जाता है।
गलती पावर का आर्टिन (मुख्तारनामा) के प्रकार को लेकर हुई है। इस तरह के मुख्तारनामा पर 28 दिसंबर 2023 से पहले ₹100 का ही स्टांप लगता था और अनुबंध हो जाता था लेकिन यदि मुख्तारनामा अखंडनीय रहे तो पूरा Stamp देना होता है।
आमतौर पर खंडनीय मुख्तारनामा का प्रयोग किया जाता है।
गलती पावर का आर्टिन (मुख्तारनामा) के प्रकार को लेकर हुई है। इस तरह के मुख्तारनामा पर 28 दिसंबर 2023 से पहले ₹100 का ही स्टांप लगता था
और अनुबंध हो जाता था लेकिन यदि मुख्तारनामा अखंडनीय रहे तो पूरा Stamp देना होता है।
गोरखपुर के रियल स्टेट की कंपनी सोनौली मार्ग पर स्थित ताल जहदा में निजी Township विकसित करने जा रही है।
इसलिए वहां जमीन ली गई है। 5 December 2023 , सदर तहसील के निबंधन कार्यालय प्रथम को ओमेक्स लिमिटेड और व्हाकर प्राइवेट लिमिटेड के बीच अनुबंध हुआ था।
इस तरह के आठ अनुबंध थे। इन सभी विवादों में मुख्तारनामा को अखंडनीय लिखा गया था।
लेकिन कार्य के दबाव के कारण इसने खंडनी मानकर स्वीकार कर पंजीकृत कर लिया गया और Stamp खंडनीय के हिसाब से हीं लगा।
शासन ने 8 दिसंबर 2030 को इस नियम में बदलाव करते हुए रक्त संबंध में मुख्तारनामा करने पर ₹5000 के स्टांप और उसके बाहर इस तरह का अनुबंध करने पर पूरा स्टांप शुल्क यानी जमीन की कीमत का 7% निर्धारित कर दिया।
कुछ पुराने अनुबंधों की भी जांच भी हुई नया नियम आने के बाद तो ताल जहदा वाले मामलों में गलती पकड़ में आई ,
यह देखा गया कि अनुबंध के प्रारूप में अखंडनीय शब्द लिखा है, जिसका मतलब हुआ कि पूरा स्टांप लगेगा इसकी रिपोर्ट सहायक महानिरीक्षक स्टांप को दी गई और उनकी ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया, आठ में पांच मामले एडीएम वित्त एवं राजस्व के कोर्ट में और तीन सहायक महान वृश्चिक के कोर्ट में लंबित है।
खंडनीय और अखंडनीय मुख्तारनामा में क्या अंतर होता है जान लो वरना पछताओगे।
खंडनीय मुख्तारनामा का मतलब होता है कि जिसे खंडित किया जा सके, इसमें मलिक का पूरा हक होता है की जमीन जब चाहे अचल संपत्ति खरीद व बिक्री कर सकता है। इस तरह के मुख्तारनामो में ₹100 का स्टांप प्रयोग किया जाता था।
जबकि अखंडनीय का मतलब होता है कि जो शाश्वत हो और जिसे खंडित न किया जा सके इसमें मलिक खरीद व बिक्री का अधिकार वापस नहीं लिया जा सकता।
ताल जहदा में स्टांप शुल्क कम लगने के पांच वाद चल रहे हैं जो एडीएम वित्त एवं राजस्व विनीत कुमार सिंह ने कहां है।
इसकी सुनवाई जारी है, इस मामले में सभी पक्षों के तर्क सुनने व समझने के बाद नियम अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
2 thoughts on “Gorakhpur में सिर्फ एक अक्षर गलत होने जाने के कारण हुआ 2.5 करोड़ का नुकसान, पूरा मामला जानकर हो जायेंगे हैरान”